बारिश ओर तुम

मेरी कलम के अल्फाज तुमसे शुरू होकर तुम तक सिमट जाते है।
कभी कभी यूँ लगता है कि तुम बारिश के जैसे हो।☔☔
कितनी दफा बिन बूंदों के भिगोया है तुमने।🌂🌂


बारिश की बूँदें




कितनी दफा मैनें तुम्हें इन बारिश की बूंदों के रुप में हथेलियों पर इकठ्ठा किया है।
कितनी दफा कहा मैंने तुमसे कि तुम मेरी अमानत हो,मेरी हथेली पर ये बूँद मेरी है।
ये बारिश जब जब आएगी तुम हमेशा मेरी अमानत रहोगे,मेरी हथेली पर तुम्हारा वो एहसास हमेशा रहेगा।
सदियों तक तुम यूँ ही ये बारिश बनकर मेरी हथेली पर वो याद बनके रह जाओगे,👦
ये बारिश ओर तुम एक जैसे हो,
ये बारिश ओर तुम एक जैसे हो|


Zla India-आपके दिल की आवाज़ /हमेशा जुड़े रहिए कहानियो और कविताओं के साथ, जिनके नायक होंगें आप /आपके दिल की आवाज़, कुछ एहसास जो छू ले दिल को.....

Alfaz aur khamoshi ke beech bikhre ehsaso ko kalambadh krne ki ek choti si koshish krti hun,Taki kisi gamgeen chehre pe muskan de skun.Ek shayar ki nazar se aapke dil ki aawaz,aur zindgi se smete huye ko aap tak pahuchane ka junun bs yahi jo aksar mujhe likhne ke liye majboor kr deta h.....

Share this

Related Posts

First

3 comments

Write comments
29 December 2018 at 09:57 delete

Hppy 1st anniversary of your blog 🎂🎂🎂🎂
Tum और tumhara लेखन कभी जुदा ना हो

Reply
avatar