जिन्दगी धूप तो नहीं (स्टोरी -पार्ट-2 )

                                 

जिन्दगी धूप तो नहीं (स्टोरी पार्ट-1)-Read More



सारंग के चेहरे पर हवा के झोंके टकरा रहे थे,और अतीत की यादों की एक -एक परत खुलती जा रही थी।सारंग क्लास का बेस्ट स्टूडेंट था और उसके बाद नवीन की कजिन स्मृति और नवीन तो क्लास क्या कॅालेज का सबसे लो स्टूडेंट था।फेमस था तो अपने स्टाइल और रौब के कारण।कोई ऐसा पीरियड नहीं होता था,जिसमें टीचर नवीन को क्लास से बाहर ना निकालते हो।ओर सारंग को हर क्लास में पुरुस्कार दिया जाता था।
पता नहीं अब भी इतना ही बिंदास होगा या थोड़ा जिम्मेदार हो गया होगा नवीन,इसी ख्याल के साथ सारंग के जेहन मे कॅालेज टाइम का एक वाक्या आ गया।कॅालेज मे एक समारोह था,जहाँ सारे स्टूडेंटन्स को अपने विचार रखने थे कि वे। अपनी जिंदगी में क्या बनना चाहते है।एक-एक करके पूरा सीन सारंग के जेहन मे उतर आया था।

सफ़र संघर्ष का





हमारे कॅालेज का पच्चीसवां स्थापना दिवस है,यहाँ से बहुत सारे जीनियस बच्चे गये है,जिनहोने ना सिर्फ अपना बल्कि कॅालेज का भी। नाम रोशन किया है प्रियंका मैडम के इस भाषण के दौरान ही नवीन सारंग के पास आकर बोला था -यार सारंग कुछ भी कर,पर मेरा नाम स्पीच के लिए लिखवा दे।मैनें अपनी तीन गर्लफ्रेंस को बोला है कि देखना तुम लोग आज टीचर्स खुद मुझे स्पीच के लिए। बुलायेंगे।प्लीज कुछ भी कर बस मेरा नाम लिखवा दे।लेकिन तूने प्रैक्टिस वगैरह कुछ नहीं की हैं तो तू बोलेगा कैसे?? सारंग ने नवीन से पूछ लिया था।वो सब मैं देख लूंगा,तू भस नाम लिखा दे नवीन ने जवाब देते हुए कहा था।अब स्पीच शुरू होने में सिर्फ 10 मिनट बाकी है पता नही टीचर्स नाम लेंगे भी या नहीं सारंग ने थोड़े चिन्ता वाले स्वर में जवाब दिया था।सारंग तेरे मुंह से ये बात अच्छी नहीं लगती,तू किसी भी टीचर से रिक्वेस्ट करेगा तो वो मान लेंगे नवीन ने वापस जवाब दिया था।ठीक है मैं देखता हूँ ये कहते हुए सारंग गुप्ता सर के पास गया था।सारंग ने रिक्वेस्ट करके नवीन का नाम लिखवा। दिया था।ठीक है अब कोई गडबड मत करना सारंग ने चेतावनी वाले अंदाज में नवीन को समझाकर कहा था।टीचर्स की स्पीच के बाद स्टूडेंट को स्पीच के। लिए बुलाया गया था।सारंग को। टीचर्स ने ये कहकर सम्बोधित किया था कि अब अपने विचार रखने के आ रहे है कॅालेज के बेस्ट स्टूडेंट्स मे से एक सारंग।सारंग ने स्टेज पर आने के बाद बहुत ईमानदारी से स्पीच दी थी कि अपनी मेहनत के बलबूते वो एक ऐसा मुकाम हासिल करना चाहता है जहाँ उसे उसके नाम से जाना जाये,उसका सपना एक आइएएस अधिकारी बनना है।सारंग के भाषण को सबने बहुत गौर से सुना था और स्मृति बस मुस्कुराते हुए सारंग की तरफ देखती ही रह गयी थी। स्मृति ओर सारंग दोनों एक दूसरे को मन ही। मन मे पसंद करते थे ,लेकिन कभी कहा नहीं था एक-दूजे से। सारंग की नजर स्मृति की तरफ गयी थी,जो उसकी तरफ ही देख रही थी ।जैसे निगाहों से ही दोनों ने एक दूसरे से कुछ कह दिया था।स्मृति ने भी अपनी स्पीच मे बताया था कि उसे भी आईएएस अधिकारी ही बनना है।ये सुनकर सारंग चौंक गया था और मन ही मन सोचने। लगा था - हम दोनों के रास्ते एक है,मंजिल एक है,काश हम दोनों भी एक होते ।इसी ख्याल ने चेहरे को थोड़ा गम्भीर कर दिया था।नवीन और स्मृति दोनों एक बहुत अमीर परिवार से थे।सारंग पसंद करता था स्मृति को लेकिन उसकी हैसियत उसे हमेशा उसे स्मृति से छोटा बना देती थी,इसलिए कभी नही कहा था।स्मृति भी सारंग की गम्भीरता को पहचानती थी,अपनी स्पीच के बाद भी सारंग के बारे मे सोचती रही थी कि सारंग हमें एक राह पर जाना है एक मंजिल को पाना है काश तुम कह देते कि मेरे साथ चलो।तुम्हारी आँखों में जो है वो बातो में कभी नहीं होता,काश कि तुम्हारी आँखें भी झूठ बोल पाती मुझसे।स्मृति अपने ख्यालों मे खोयी थी कि इसी बीच नवीन का नाम एनाउंस हुआ,आधे से ज्यादा स्टूडेंट चौंक गए थे कि नवीन का नाम भी स्पीच के लिए रखा है।नवीन ने स्पीच की कोई तैयारी नहीं की थी,इसलिए उसने अपने ही अंदाज में स्पीच शुरू की -




हाय फ्रेंडस,इन्फेक्ट फ्रेंडस नहीं बॅायज एण्ड गर्लफ्रेंडस।नवीन की ये बात सुनते ही बच्चे चिल्ला उठे थे -ये................. टीचर्स का मूड खराब हो गया था ओर सारंग ने अफसोस से सिर पकड़ लिया था,स्मृति गुस्से से बडबडायी थी -ये नवीन कभी नहीं सुधरेगा।नवीन ने अपनी स्पीच को आगे बढ़ाते हुए कहा था जैसा कि प्रियंका मैम ने कहा,हमारे कॅालेज ने बहुत सारे जीनियस स्टूडेंट्स दिये लेकिन कुछ मेरे जैसे भी दिए होंगे,उनका नाम लेना भूल गयी होंगी।हाँ तो आज सभी ने बताया कि वो अपनी लाइफ मे क्या अचीवमेंट करना चाहते है।दो अचीवमेंट तो मुझे भी करनी है,मुझे अपनी लाइफ मे पति ओर पिता दोनों बनना है।ये सब सुनते ही स्टूडेंट जोर से चिल्लाने लगे थे -नवीन,नवीन .........
विजेन्द्र सर खड़ा होते हुए बोले थे इस बदतमीज को किसने भेजा स्टेज पर,जाओ यहाँ से नवीन की तरफ देखकर चीखते हुए कहा था।सारंग अपना सिर पकड़े बैठा था और स्मृति को नवीन पर बहुत गुस्सा आ रहा था।विजेन्द्र सर की बात सुनकर नवीन हँसते हुए बोला था सर आखिरी बात रह गयी और फिर जोर से चिल्लाकर बोला था -इस बार प्रेजीडेन्ट का चुनाव लड रहा हूँ।नवीन की हरकत से उसे कॅालेज से निकाल दिया गया था,लेकिन उसके पापा की अच्छी जान-पहचान होने के कारण दोबारा दाखिल कर लिया था।नवीन ने प्रेजीडेन्ट का चुनाव लड़ा था और वो विजयी हुआ था।




किसने सोचा था कि नवीन एक दिन इतना बड़ा आदमी बन जाएगा,इसी ख्याल से सारंग के चेहरे पर मुस्कान आ गयी थी और उसने मन ही मन कहा था मेरा दोस्त आज क्षेत्र का विधायक हैं।सारंग के इस ख्याल से उसकी अंर्तआत्मा ने पूछ लिया था -और तुम कहाँ हो?
जिन्दगी में एक असफल आदमी से ज्यादा कुछ नहीं सारंग के चेहरे की मुस्कान कहीं खो सी गयी थी ओर चेहरे पर एक टीस ओर असफलता का दर्द साफ-साफ झलक आया था।सारंग की आँखों में बैचेनी उभर आयी थी और उसे अजीब सा एहसास हो रहा था।कुछ ख्याल परेशान कर रहे थे कि कैसे मिलूंगा आज मैं नवीन से,वो इतना आगे चला गया और मैं चन्द कदम पीछे हट गया।उसके पास उसका नाम है और मैं उसके बराबर में खड़ा होने लायक भी नहीं।पिछले आठ सालों में कितना बदल गया होगा नवीन।ओर वहाँ कॅालेज के बाकी सभी दोस्त भी मिलेंगे,सब पूछेंगे कि पिछले इतने सालों में मैनें क्या अचीवमेंट की।
लेकिन मेरे पास कोई जवाब नहीं होगा,क्या मुझे वहाँ जाना चाहिए।सारंग के मन पर निराशा और असफलता का खौफ कुछ इस कदर सवार हो गया था कि वो मन मन कहने लगा था -नहीं मुझे वहाँ नहीं जाना चाहिए।बल्कि यहाँ से बस पकडकर वापस चलना चाहिए।अपने अंदर चलती इस जंग को जीतते हुए उसके एक ख्याल ने उसे सान्त्वना थी।कि नवीन उसका बेस्ट फ्रेंड है उसकी शादी में तो उसे जाना ही चाहिए।




अपने ख्यालों में उलझते हुए सारंग उस शहर में आ गया था जहाँ नवीन रहता था,उसे अंदर से बहुत खुशी हो रही थी,कि आज वो अपने दोस्त से मिलेगा।पिछले 8 सालों में नवीन और सारंग की फोन पर तो बातें होती रहती थी,लेकिन एक दूसरे से मिले नहीं।सारंग ने आटो रिक्शा लेते हुए ड्राईवर से कहा कि वो नवीन चौधरी के घर पर छोड़ दे।कुछ ही देर में सारंग नवीन के घर के बाहर पहुंच गया था।
शहर के बीच में एक बहुत खूबसूरत बिल्डिंग जिसमें नवीन रहता था।इतने बड़े ओर आलीशान की तरफ बढ़ते हुए उसके कदम डगमगा रहे थे,लेकिन दोस्त से मिलने की खुशी उसे कुछ भी सोचने से रोक रही थी।
घर में अंदर घुसने के बाद सारंग को काफ़ी सारे लोग दिखाई दिए,लेकिन नवीन कहीं नहीं दिखा।तभी वाचमैन आकर सारंग से बोला -शादी का कार्ड दिखाइये।ये सुनते ही सारंग थोड़ा चौंक गया था,क्योंकि वो शादी का कार्ड लेकर ही नहीं आया था।उसके जेहन मे ये ख्याल ही नहीं रहा कि नवीन अब वीआईपी है और उसकी शादी में कार्ड से एंट्री होगी ।सारंग ने मना कर दिया था कि वो कार्ड लाना भूल गया है,लेकिन नवीन का दोस्त है।वाचमैन ने सारंग की बात मानने से इनकार कर दिया था.................Be continue in 3 part


जिन्दगी धूप तो नहीं (स्टोरी पार्ट-3)-Read More 

जिन्दगी धूप तो नहीं (स्टोरी पार्ट-4)-Read More



Zla India-आपके दिल की आवाज़ /हमेशा जुड़े रहिए कहानियों और कविताओं के साथ, जिनके नायक होंगें आप /आपके दिल की आवाज़, कुछ एहसास जो छू ले दिल को....































Alfaz aur khamoshi ke beech bikhre ehsaso ko kalambadh krne ki ek choti si koshish krti hun,Taki kisi gamgeen chehre pe muskan de skun.Ek shayar ki nazar se aapke dil ki aawaz,aur zindgi se smete huye ko aap tak pahuchane ka junun bs yahi jo aksar mujhe likhne ke liye majboor kr deta h.....

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