यू मेरी उंगलियों मे अपनी उंगलियों को फंसाकर तुमने
कसके हाथ थामा था।कितनी खूबसूरत थी वो सुबह
जब मैं और तुम यूँ ही बेवजह चल दिए थे राहो पर।
सूरज की रोशनी तुम्हारे चेहरे पर पड़ी थीं,और तुम
जैसे ओर भी खूबसूरत हो गये थे।
वो बेमतलब की तुम्हारी और मेरी बातें मुझे आज तक
याद है।
तुम्हारी वो निश्छल सी मुस्कान,जिसके सामने फूलों का
बिखरना भी कुछ नहीं है,आज तक मेरे जेहन में जिन्दा है।
ऐसा लगता है कभी कि तुम आज भी मुस्कुरा रहे हो।
तुम्हारी वो चन्द लाइनें जो तुमने मुझे चिढाने के लिए
बोली थी।
आज भी मेरे लिए वो इस दुनिया की सबसे खूबसूरत
शायरी है।
तुम्हारे चेहरे पर वो शरारती मुस्कान मेरे जेहन मे
आज फिर जैसे ताजा हो गयी हो।
तुमने यू उदासीनता से कहा था -
"कभी सूरज कहती हो,तो कभी चान्द
सच कह दो आज कि मैं हूँ तुम्हारी मुस्कान।"
तुम्हारी शायरी के टूटे फूटे शब्द,मेरी जिंदगी की
सबसे हसीन शायरी थी।कुछ कहने के लिए दिल
मे ख्याल उमड आये थे।ऐसा लगा था जिन्दगी बस
यही इस पल में है।
तुम मेरी शायरी बन जुबान पर चले आये थे।
आज सुनो फिर कह देती हूँ -
"तुम सूरज हो जिन्दगी के,क्योंकि तुम्हारे होने
से ही ये जिन्दगी रोशन है।
ओर शाम होते ही तुम चान्द बनकर यादो मे चले
आते हो।
मेरे होठो की मुस्कान तो तुम्हारे दरमियान आके
सिमट जाती है।"
मेरी बातों को सुनकर तुम मन ही मन मुस्कुरा
उठे थे,जैसे तुमको बस यही सुनना था मुझसे।
तुम्हारी वो झुठ-मुठ की उदासीनता जिसने मेरे
चेहरे की मुस्कान छीन ली थी,
मेरे होठो पर आज भी मुस्कान ले आती है।
कितने उदास बन रहे थे तुम उस दिन,ऐसा लगा
था जैसे तुम्हें उस दिन इस दुनिया की सारी शायरी
आ गयी थी,जैसे तुम मेरी जिंदगी के "गुलज़ार"
बन गये थे।तुमने मेरे हाथ को छोडते हुए चन्द कदम
आगे बढ गये थे।तुमने एक गम्भीर स्वर में कहा था-
"कभी चाँद कहा तुमने मुझे,
तो कभी हुआ यू भी
कि आसमान से गिरा दिया।"
ऐसा लगा था मुझे कि तुम्हारे मन में
ये कैसी बातें चल रही है,मेरी आँखों
में आँसू छलक आये थे,जैसे जिन्दगी
यही इस पल मे सिमट जाये।
कुछ बेपरवाह से ख्याल उमड आये थे
इस दिल में।
मैनें चँद कदम आगे बढ़ते हुए,तुम्हारी उंगलियों मे
अपनी उंगलियों को फसाकर तुम्हारे हाथ को कसकर
थामा था,जैसे मैं तुमको कभी नहीं खोना चाहती थी।
मेरे अंदर के अल्फाज जैसे शायरी बनकर ढल चुके थे।
मैनें तुम्हारी तरफ देखकर कहा था -
"एक अरसे से मैनें तुम्हें चाँद नहीं कहा है,
पर खामोश रहने से क्या सच्चाईयाँ बदल जाती है।"
"चाँद तो तुम आज भी हो मेरी जमीन के,
पर एक अरसे से कहाँ कह पायी हूँ।"
"कैसे गिरा सकती हूँ तुम्हें आसमान से,
दिन रात दुआएँ की है तुम्हें वहाँ तक पहुंचाने की।"
"कब चाहा है मैनें तुम्हें आसमान से गिराना,
बस चाहत इतनी सी की है कि मेरे साथ रहकर
मेरी जमीं को रोशन कर दो।"
"उस आसमान से नीचे तुम्हें सिर्फ इसलिए
लेकर आयी हूँ ,क्योंकि उस आसमान
को नहीं।
बल्कि मुझे तुम्हारी जरूरत है,
मेरा चाँद बनकर आये हो तुम।"
"अगर गिराया भी तुम्हें उस आसमान से,
तो तकलीफ तो मुझे तुमसे भी ज्यादा होगी।"
मेरी शायरी को सुनकर तुमने मेरी हथेली को जैसे ओर
कसके थामा था,जैसे जिन्दगी के कुछ पल मेरे ओर तुम्हारे बीच बिखर उठे थे।वो सुबह बहुत खूबसूरत थी।
चँद पलो की खामोशी के बाद जैसे तुम कह उठे थे।
क्या अब मजाक करने का भी हक नहीं रहा।
तुम्हारे ये कुछ बिखरे से अल्फाज सुनकर मेरी साँस मे
साँस आयी थी।
मैनें तुम्हारे कंधे पर जोर से एक मुक्का मारा था।
और हम दोनों चल दिये थे अपनी राहो पर।
वो सुबह मुझे आज तलक याद है।
वो सुबह मुझे आज तलक याद है।
कसके हाथ थामा था।कितनी खूबसूरत थी वो सुबह
जब मैं और तुम यूँ ही बेवजह चल दिए थे राहो पर।
सूरज की रोशनी तुम्हारे चेहरे पर पड़ी थीं,और तुम
जैसे ओर भी खूबसूरत हो गये थे।
वो बेमतलब की तुम्हारी और मेरी बातें मुझे आज तक
याद है।
तुम्हारी वो निश्छल सी मुस्कान,जिसके सामने फूलों का
बिखरना भी कुछ नहीं है,आज तक मेरे जेहन में जिन्दा है।
ऐसा लगता है कभी कि तुम आज भी मुस्कुरा रहे हो।
तुम्हारी वो चन्द लाइनें जो तुमने मुझे चिढाने के लिए
बोली थी।
आज भी मेरे लिए वो इस दुनिया की सबसे खूबसूरत
शायरी है।
तुम्हारे चेहरे पर वो शरारती मुस्कान मेरे जेहन मे
आज फिर जैसे ताजा हो गयी हो।
तुमने यू उदासीनता से कहा था -
"कभी सूरज कहती हो,तो कभी चान्द
सच कह दो आज कि मैं हूँ तुम्हारी मुस्कान।"
तुम्हारी शायरी के टूटे फूटे शब्द,मेरी जिंदगी की
सबसे हसीन शायरी थी।कुछ कहने के लिए दिल
मे ख्याल उमड आये थे।ऐसा लगा था जिन्दगी बस
यही इस पल में है।
तुम मेरी शायरी बन जुबान पर चले आये थे।
आज सुनो फिर कह देती हूँ -
"तुम सूरज हो जिन्दगी के,क्योंकि तुम्हारे होने
से ही ये जिन्दगी रोशन है।
ओर शाम होते ही तुम चान्द बनकर यादो मे चले
आते हो।
मेरे होठो की मुस्कान तो तुम्हारे दरमियान आके
सिमट जाती है।"
बारिश और तुम -Read more
मेरी बातों को सुनकर तुम मन ही मन मुस्कुरा
उठे थे,जैसे तुमको बस यही सुनना था मुझसे।
तुम्हारी वो झुठ-मुठ की उदासीनता जिसने मेरे
चेहरे की मुस्कान छीन ली थी,
मेरे होठो पर आज भी मुस्कान ले आती है।
कितने उदास बन रहे थे तुम उस दिन,ऐसा लगा
था जैसे तुम्हें उस दिन इस दुनिया की सारी शायरी
आ गयी थी,जैसे तुम मेरी जिंदगी के "गुलज़ार"
बन गये थे।तुमने मेरे हाथ को छोडते हुए चन्द कदम
आगे बढ गये थे।तुमने एक गम्भीर स्वर में कहा था-
"कभी चाँद कहा तुमने मुझे,
तो कभी हुआ यू भी
कि आसमान से गिरा दिया।"
ऐसा लगा था मुझे कि तुम्हारे मन में
ये कैसी बातें चल रही है,मेरी आँखों
में आँसू छलक आये थे,जैसे जिन्दगी
यही इस पल मे सिमट जाये।
कुछ बेपरवाह से ख्याल उमड आये थे
इस दिल में।
मैनें चँद कदम आगे बढ़ते हुए,तुम्हारी उंगलियों मे
अपनी उंगलियों को फसाकर तुम्हारे हाथ को कसकर
थामा था,जैसे मैं तुमको कभी नहीं खोना चाहती थी।
मेरे अंदर के अल्फाज जैसे शायरी बनकर ढल चुके थे।
मैनें तुम्हारी तरफ देखकर कहा था -
"एक अरसे से मैनें तुम्हें चाँद नहीं कहा है,
पर खामोश रहने से क्या सच्चाईयाँ बदल जाती है।"
"चाँद तो तुम आज भी हो मेरी जमीन के,
पर एक अरसे से कहाँ कह पायी हूँ।"
"कैसे गिरा सकती हूँ तुम्हें आसमान से,
दिन रात दुआएँ की है तुम्हें वहाँ तक पहुंचाने की।"
"कब चाहा है मैनें तुम्हें आसमान से गिराना,
बस चाहत इतनी सी की है कि मेरे साथ रहकर
मेरी जमीं को रोशन कर दो।"
"उस आसमान से नीचे तुम्हें सिर्फ इसलिए
लेकर आयी हूँ ,क्योंकि उस आसमान
को नहीं।
बल्कि मुझे तुम्हारी जरूरत है,
मेरा चाँद बनकर आये हो तुम।"
कभी-कभी -Read more
"अगर गिराया भी तुम्हें उस आसमान से,
तो तकलीफ तो मुझे तुमसे भी ज्यादा होगी।"
मेरी शायरी को सुनकर तुमने मेरी हथेली को जैसे ओर
कसके थामा था,जैसे जिन्दगी के कुछ पल मेरे ओर तुम्हारे बीच बिखर उठे थे।वो सुबह बहुत खूबसूरत थी।
चँद पलो की खामोशी के बाद जैसे तुम कह उठे थे।
क्या अब मजाक करने का भी हक नहीं रहा।
तुम्हारे ये कुछ बिखरे से अल्फाज सुनकर मेरी साँस मे
साँस आयी थी।
मैनें तुम्हारे कंधे पर जोर से एक मुक्का मारा था।
और हम दोनों चल दिये थे अपनी राहो पर।
वो सुबह मुझे आज तलक याद है।
वो सुबह मुझे आज तलक याद है।
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